बांध आई
पीपल के उस पेड़ पर
मन्नत का एक धागा
जो बिन बोये उग आया है
घर की छत के
ईशान कोण की दीवार पर
और मांगा सिर्फ इतना
सलामत रखना
मेरे घर की दीवारों को भी
और मेरे दिल से जुड़े
हर रिश्ते की मीनारों को भी
दूर करना मेरे अपनों के
हर दुख और परेशानी
और थामे रखना अपनी जड़ों की तरह
मेरे अपनों के सुख और सामर्थ्य,
तुम पर अर्पित जल
तुम्हे और मेरे अपनों को संवर्धित करे
मेरे साथ भी मेरे बाद भी,...!
क्योंकि
मुझे पूरा विश्वास है
वृक्ष कभी अशुभ नहीं होते।
प्रीति सुराना
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteआपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति 99वीं जयंती - पंडित रवि शंकर और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान जरूर बढ़ाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
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