Monday, 1 April 2019

अब मैं ढलूँ

नियति ने छला अब मैं छलूँ
खोकर खुद को अब मैं चलूँ
सवेरा बनकर उग तो न सकी
साँझ की तरह अब मैं ढलूँ

प्रीति सुराना

1 comment: