*"अनुभूतियों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बनकर उभरा अन्तरा-शब्दशक्ति"*
_लिखते रहे हिसाब पल-पल हासिल के,_
_शब्दों, कागजों और स्याही से मिल के,_
_अन्तरा-शब्दशक्ति ने नई राहें जो खोली,_
_अनुभूतियाँ अभिव्यक्त होने लगी अब दिल से,...।_
लगभग ढाई वर्ष पहले अपनी ही तरह कई महिलाओं और पुरुषों से अनुभव साझा करते हुए महसूस हुआ कि बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें अवसर ही नहीं मिला कि वे उनके भीतर पोषीत शब्दों की शक्ति का उपयोग कर अभिव्यक्ति के माध्यम से खुद को एक पहचान दे सके, क्योंकि खुद भुक्तभोगी थी इसलिए पीड़ा समझ सकती थी।
पहला प्रयास किया 2 फरवरी 2016 को 13 महिलाओं के एक व्हाट्सअप समूह सृजन फुलवारी से जिसने केवल 15 ही दिनों में एक बड़े समूह का रूप लिया और शब्दशक्ति बन गया। समय चलता रहा और अपने स्वभावानुसार परिस्थितियां भी बदलता गया, प्रथम आयोजन हिन्दी पखवाड़े में 25 सितंबर 2016 को भोपाल में शब्दशक्ति सम्मेलन के रूप में 111 शब्दशक्तियों ने हिस्सा लिया।
फिर शुरू हुआ एक नया अध्याय जिसमें सप्ताह के 7 दिनों में विषय या शब्द के माध्यम से न केवल कविताएं बल्कि लघुकथाएँ, कहानियाँ, संस्मरण और आलेख भी लिखवाए गए और लगातार 75 हफ्तों तक परिचय और सृजक- सृजन- समीक्षा का संचालन किया गया। फेसबुक पर जुड़ते-जुड़ते अब तक 20 हजार से ज्यादा सदस्य हो चुके हैं और साथ ही फेसबुक पेज को 2100 से अधिक सदस्यों ने पसन्द किया है।
1 जुलाई 2017 से अन्तरा-शब्दशक्ति ने वेब की दुनिया मे मासिक वेब पत्रिका के माध्यम से कदम रखा जो अब तक जारी है।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के उद्देश्य को आत्मसात करते हुए हिन्दी को राष्ट्रभाषा का गौरव दिलवाने के लिए संकल्पित होकर सतत आगे बढ़ते हुए 3 फरवरी 2018 में द्वितीय वार्षिकोत्सव में सप्ताह के 6 दिनों की गतिविधियों के हासिल 7 साझा संकलनों के रूप में प्रकाशित हुए और वृहद स्तर पर अन्तरा-शब्दशक्ति का पारिवारिक उत्सव इंदौर में मनाया गया। कुछ अटपटे अनुभवों ने जन्म दिया अन्तरा-शब्दशक्ति प्रकाशन के स्वप्न को जिसे साकार रूप दिया 24 मार्च 2018 को।
शुरुआत की वूमन आवाज़ के साझा प्रयास में 58 महिलाओं को बिना किसी शुल्क लिए साझा संग्रह के तौर पर प्रकाशित करके। और उसके बाद 46 सृजक-सृजन-समीक्षा पुस्तिकाओं व ई-पुस्तकों के रूप में प्रकाशित और 27 मई 2018 को उसका विमोचन भोपाल में करके। उसके बाद सिलसिला चलता रहा और सृजन समीक्षा की 16 पेज की लघु पुस्तिकाओं के बाद 6 माह की अवधि में आईएसबीएन सहित 66 पुस्तिकाओं का प्रकाशन और विमोचन वूमन आवाज़ के साझा प्रयास से 4 अगस्त 2018 को किया। हिन्दी पखवाड़े में 29 सितंबर 2018 को भोपाल के कार्यक्रम में मातृभाषा उन्नयन संस्थान के सौजन्य से 8 पुस्तिकाओं सहित कुल 12 पुस्तकों का विमोचन समारोह आयोजित किया गया, इसके अलावा भी कई आयोजन इंदौर, बालाघाट, वारासिवनी में आयोजित किये जाते रहे। और अब तक 150 से अधिक पुस्तकों का विमोचन हो चुका है।
आगामी वार्षिक आयोजन भी जनवरी 2019 में दिल्ली में लगभग 80 किताबों के विमोचन के साथ मनाया जाना लगभग तय है।
शब्द से शक्ति बनते-बनते इतनी कम अवधि में अन्तरा- शब्दशक्ति ने एक विशाल परिवार का रूप लेकर व्हाट्सअप, फेसबुक समूह और पेज से निकल प्रिंट मीडिया, वेबसाइट, प्रकाशन तक अपने पर पसारे।
बहुत खुशी होती है जब कोई रचनाकार अपने अनुभव में ये कहता है कि अन्तरा शब्दशक्ति ने उसे पहचान दी है।
*अनुशासित समूह की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि 150 से अधिक रचनाकारों के समूह में कई रचनाकारों ने शब्दों और विधाओं पर लिखते-लिखते एक साल में 150 से अधिक कविताएँ, लगभग 50 लघुकथाएँ या कहानियाँ, 50 आलेख या संस्मरणों का लक्ष्य तक पूरा किया है।*
अनुभूतियों की अभिव्यक्ति को पहचान बनाने में सहायक और उत्प्रेरक बन रहे अन्तरा- शब्दशक्ति परिवार को संबल दे कर नई दिशा दी मातृभाषा उन्नयन संस्थान, हिन्दी ग्राम ने जिसके लिए संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' का हार्दिक आभार। *हिन्दी साहित्य से जुड़े सभी हिन्दी सेवियों का सदैव अन्तरा- शब्दशक्ति परिवार में स्वागत है।*
*आइये इस नवरात्रि मिलकर अभिव्यक्ति की इस शक्ति को गतिशील बनाएं हम और आप,...।*
*डॉ. प्रीति सुराना*
संस्थापक
अन्तरा-शब्दशक्ति
www.antrashabdshkti.com
9424765259
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