डर का 'कर्फ्यू' क्यूं लगे,
खुशियों के शहर में,
चांदनी घुलती रहे प्रीत की
हर लहर में चांद नज़र आता है,..
ये डर ही तो जीवन से
'पलायन' को करता है विवश,
सामना हालात का करना
सही अर्थों में जीवन कहलाता है,..
'राह की धूंध' में,
कुछ चीजें छुप जाती है,
पर संकल्प की धूप में ही
सही रास्ता निकल आता है,..
मगर ध्यान रहे हमेशा
जिनमे होता है आत्मविश्वास,
उम्मीदें रहती हैं उन्ही की 'जेब' में,
जिसे लड़ने का हुनर आता है।,...
प्रीति सुराना
सुन्दर
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