Sunday, 26 August 2018

रक्षासूत्र

हाँ!
आज बांधना चाहती हूँ
एक रक्षा सूत्र
अपने अन्तर्मन को
वर्तमान में 
बाह्य वातावरण में व्याप्त
विसंगतियों से दूर रहने के लिये,
जाने अनजाने भी हो सकने वाले
किसी भी संक्रमण से बचा रहे
मेरा मन,
भूल से भी किसी से छल
या किसी का अहित करने के भाव
अन्तर्मन तक न पहुँचे,
स्वयं के नियंत्रण में रहकर
सांसारिक गतिविधियों और दायित्वों का
निर्वाह कर सके,
पर उपदेश कुशल बहुतेरे वाले काल में
"यदि भला किसी का कर न सके,
तो बुरा किसी का मत करना"
इस वचन के बंधन में बांधने के लिए,...
सच!
आज बांधना चाहती हूँ
एक रक्षा सूत्र
अपने अन्तर्मन को,....।

प्रीति सुराना

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