Thursday, 8 January 2015

"नए शब्दकोश"

सुनो!!

अब मैंने लिखना छोड़ दिया है
अपने 
"मन की बात"

क्योंकि 
कुछ लोग कहने लगे हैं 
मुझे शब्दों का ज्ञान नहीं है... 

मैं विशेषणों और अलंकारों से परे
लिख देती हूँ मन की बात 
सीधे सपाट शब्दों में...

जबकि लेखक को लिखना होता है 
शब्दों को तोड़ मरोड़ कर...
थोड़ी कठिन भाषा में,.. 

ताकि पाठक रचना के भारी भरकम शब्दों को 
तोल मोल कर समझकर 
शब्दों के भारीपन से रचना का आकलन कर सके...

सुना है 
आजकल बाजार में कई नए 
शब्दकोश आए है...

सुनो ना...
अब मैं पढूंगी बहुत सारे नए नए शब्दकोश..
ताकि मैं भी लिख सकू क्लिस्ट भाषा में....

सुनो???
तब भी तुम पढ़ोगे ना मेरे मन की बात,..

जिसमे शायद 
बनावटी दिखावटी विकृत और फरेब प्रदर्शित करने वाले 
और भरमाने वाले शब्द भी शामिल होंगे..

मैं जानती हूं 
तब भी तुम ढूंढ ही लोगे 
मेरे मन की सीधी सच्ची बात,...

क्योंक़ि 
तुम जानते हो पढ़ना 
"मेरा मन"....,.......,........प्रीति सुराना

1 comment:

  1. Klakar ke liye parshansa, asha aur sneh, jaruri hain , , aap ke vichar sahi he .... Suno na Priti rani---hum jarur pade ge

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