यही कहता है हर पल हमारा अंतःकरण,..
मन मंदिर में हो गुरूवर्या आपके ही चरण,..
सानिध्य आपका है जैसे मानो ताल तरण,..
स्नेह आपका करें सदा हम अपने शीर्षधरण,..
ज्ञानपुंज आपका करता है हमारा पोषण भरण,..
प्रेरणा से आपकी हमने किया जिनमार्ग वरण,.
किया आपने हमेशा हमारी हर दुविधा का हरण,..
आपके सत्संग से रूका हमारे पुण्य का क्षरण,..
सुधारा है आपने ही हमारा जीवन और मरण,..
यही कामना मिले अंत तक हमें आपकी ही शरण,..
जन्मदिन पर आपके मन कर रह है अति हर्षण,..
करते आज आपके चरणों में भाव सुमन अर्पण,...प्रीति सुराना
सुन्दर प्रस्तुति
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