*हर एक दोस्त जरूरी होता है*
आज मैं इस बात को हमारे गुरुजनों के दर्शनानुसार एक नए तरीके से पल्लवित करने का प्रयास कर रही हूँ।
जीवन मे नौ रस, सात रंग होते है सभी का अलग अलग अनुपातों में मिश्रण नए रंग और नए रस का जनक होता है। उसी तरह मित्र भी व्यवहार और साहचर्य के अनुसार पाँच प्रकार के होते हैं।
1. खाली मित्र
2. ताली मित्र
3. प्याली मित्र
4. थाली मित्र
5. कल्याण मित्र
आप सभी सोच रहे होंगे कि ये किस प्रकार के मित्रों की बात कर रही हूँ? है न!
अति संक्षिप्त व्याख्या कर रही हूँ, जब कोई बिल्कुल खाली हो और कोई कामधाम न हो तो आपके पास आकर घंटों बैठ जाए वो है *खाली मित्र*, आपके पास बैठे तो बैठे आपकी हर बात पर आपके मुँह पर तारीफ करे (पीठ पीछे राम जाने) वो होता है *ताली मित्र*, जो चाय या वाय के लिए हमप्याला होने को मिलता जुलता रहे वो है *प्याली मित्र*, जिसे बाहर खाने का शौक हो लेकिन हर बार अपनी जेब खाली न करने की गरज से आपके साथ खाने-पीने-घूमने को जाए वो है *थाली मित्र*!
वास्तविकता ये है कि समय समय पर हमें इन सभी मित्रों की आवश्यकता महसूस होती रहती है, और हम भी किसी के लिए इनमें से किसी श्रेणी के मित्र हो सकते हैं।
अब बात करते हैं *कल्याण मित्र* की,...!
वो मित्र जो खाली या अकेलेपन में सबके पहले याद आए, दुख बाँटने या खुशी मनाने में जरुरी हो, हम प्याला हो या हमनिवाला हो लेकिन हमारी पसंद और जरूरतों का हमसे ज्यादा जिसे अंदाजा हो, हमारी सफलता पर जिसका सीना गर्व से फूल जाता हो लेकिन हमारी गलती पर सबसे ज्यादा रोकता, टोकता, डाँटता या समझाता हो, जिस मित्र में हर तरह से, हर परिस्थिति में साथ निभाने का जज्बा हो। जो माँ की ममता, पिता का साया, भाई/बहन का प्रेम और स्पष्टवादी मित्र हो, वो होता है *कल्याण मित्र*। और हर एक मित्र जरुरी होता है लेकिन कल्याण मित्र जीवन के लिए ऑक्सीजन होता है। न मिले तो दुर्दशा कैसी ये हम और आप सभी जानते हैं।
मेरे सभी कल्याण मित्रों को समर्पित यह रचना
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता
जिसमें उम्र, जाति, धर्म,
पैसा, काम, या परिवार नहीं
मायने रखता है व्यवहार,
अटूट विश्वास और प्यार
कह सकें दिल की हर बात
बिन भूमिका या बिन ये कहे कि
किसी से कहना मत यार,
और हो सके बिना द्वेष
दोस्त की खुशी में हम खुश
दुख में हो जाए ये मन आहत
मैं और तुम 'हम' बनकर निभाएं
ताउम्र ये रिश्ता यही है चाहत।
मेरे सभी मित्रों के जीवन मे कोई न कोई कल्याण मित्र जरुर हो ये कामना हमेशा करुँगी, और मेरे सभी मित्रों को मेरा मित्र होने के लिए दिल से आभार ->
साथ ही एक सच यह भी👇🏼
काफिला साथ चलता है अकसर कामयाबी के बाद,..
बिरले ही होते हैं जो संघर्ष में साथ देते हैं,.
कामयाब होने के बाद हाथ थामने वालों को क्या कहूं,..?
"दोस्त" वो होते हैं जो मुश्किल वक्त में हाथों में हाथ देते हैं,..!
संस्थापक
अन्तरा शब्दशक्ति
*डॉ प्रीति समकित सुराना*