Saturday, 7 September 2024

रुकना नहीं था मुझको...

#जो जिंदगी में हर बार हार जाता है
जो खुद को भीड़ में तन्हा पाता है
ठिठककर सफल लोगों को देखकर
फिर सोचता है,.. रुकना नहीं था मुझको,..!

#प्रीतिसमकितसुराना

Tuesday, 20 August 2024

किताबे-इश्क



तुमने ही सिखाया था
पीठ पर कुरेदना 
मनप्रीत का नाम
किताबों में लफ्ज़-लफ्ज़
गढ़ना इश्क
और पढ़ने को पूरी दास्तां
जरुरी है
किताबे-इश्क हो जाना
सच कहती हूँ अब भी
मुश्किल था, है और रहेगा
अमृता तुम्हें समझ पाना।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना
#अमृताप्रीतम

Sunday, 23 May 2021

जब कोई अपना जाता है



जिनसे प्यार हो दिल में उनकी तस्वीर बन जाती है,
माना रोज देखते हैं उन्हें पर आँखें रोज भर आती है,
उन्हें मेरी आँखों मे आँसू नहीं थे कभी भी पसंद,
ये बात उन्हें देख देखकर ज्यादा रुलाती है।

डॉ प्रीति समकित सुराना

Saturday, 22 May 2021

बन और बिखर रहे हैं

न सूरज सा जलने के हुनर
न उगना उगाना
पर हर शाम ढल रहे हैं 

न मंजिल का पता
न रास्ते का ठिकाना
बस बेमकसद चल रहे हैं 

न चाँद सी शीतलता
न ढंग का रंग रुप
फिर भी ख्वाबों में निकल रहे हैं 

न बर्फ सी तासीर
न जमना न पिघलना
लेकिन जम और पिघल रहे हैं। 

न मिट्टी होने का अहसास
न मिट्टी होकर मिट्टी में मिलने का हौसला
देखो तो जुर्रत हमारी
बार-बार बन और बिखर रहे हैं। 

हर शाम ढल रहे हैं
बेमकसद चल रहे हैं
ख्वाबों में निकल रहे हैं
जम और पिघल रहे हैं।
बन और बिखर रहे हैं। 

प्रीति समकित सुराना

Friday, 21 May 2021

कलम ही छोड़ दी मैंने,...!

कलम ही छोड़ दी मैंने,...!

प्रेम लिखूँ कैसे
रुदन सांसों में घुल रहा हो जब
विरह सहूँ कैसे
कोई अपना बिछुड़ रहा हो जब
माहौल देखकर फरेबी
कलम ही छोड़ दी मैंने

जुनून सा था ये
नया कुछ करना है जमाने में
जुटी हुई थी मैं तो
जीवन की नई राहें बनाने में
मगन रहती थी मकसद में
लगन वो तोड़ दी मैंने

उठती ही तरंगे भी
खुशहाल वतन के सपने की
रुख नाराज़ कुदरत का
कोशिश की बहुत मनाने की
हिम्मत जो रगों में बहती थी
लहर भी मोड़ दी मैनें

सजाया था घरौंदा एक
एक अनोखे ही अंदाज का
खाका एक खींचा था
उन्नत समृद्ध समाज का
प्रकृति पर उम्मीदों से लबालब
गागर फोड़ दी मैंने

लहर भी मोड़ दी मैनें
लगन वो तोड़ दी मैंने
दवातें फोड़ दी मैंने
कलम ही छोड़ दी मैंने,...!

प्रीति समकित सुराना

Wednesday, 12 May 2021

कल्याण मित्र

*हर एक दोस्त जरूरी होता है* 

आज मैं इस बात को हमारे गुरुजनों के दर्शनानुसार एक नए तरीके से पल्लवित करने का प्रयास कर रही हूँ।
जीवन मे नौ रस, सात रंग होते है सभी का अलग अलग अनुपातों में मिश्रण नए रंग और नए रस का जनक होता है। उसी तरह मित्र भी व्यवहार और साहचर्य के अनुसार पाँच प्रकार के होते हैं।
1. खाली मित्र
2. ताली मित्र
3. प्याली मित्र
4. थाली मित्र
5. कल्याण मित्र
आप सभी सोच रहे होंगे कि ये किस प्रकार के मित्रों की बात कर रही हूँ? है न!
अति संक्षिप्त व्याख्या कर रही हूँ, जब कोई बिल्कुल खाली हो और कोई कामधाम न हो तो आपके पास आकर घंटों बैठ जाए वो है *खाली मित्र*, आपके पास बैठे तो बैठे आपकी हर बात पर आपके मुँह पर तारीफ करे (पीठ पीछे राम जाने) वो होता है *ताली मित्र*, जो चाय या वाय के लिए हमप्याला होने को मिलता जुलता रहे वो है *प्याली मित्र*, जिसे बाहर खाने का शौक हो लेकिन हर बार अपनी जेब खाली न करने की गरज से आपके साथ खाने-पीने-घूमने को जाए वो है *थाली मित्र*!
वास्तविकता ये है कि समय समय पर हमें इन सभी मित्रों की आवश्यकता महसूस होती रहती है, और हम भी किसी के लिए इनमें से किसी श्रेणी के मित्र हो सकते हैं।
अब बात करते हैं *कल्याण मित्र* की,...! 
वो मित्र जो खाली या अकेलेपन में सबके पहले याद आए, दुख बाँटने या खुशी मनाने में जरुरी हो, हम प्याला हो या हमनिवाला हो लेकिन हमारी पसंद और जरूरतों का हमसे ज्यादा जिसे अंदाजा हो, हमारी सफलता पर जिसका सीना गर्व से फूल जाता हो लेकिन हमारी गलती पर सबसे ज्यादा रोकता, टोकता, डाँटता या समझाता हो, जिस मित्र में हर तरह से, हर परिस्थिति में साथ निभाने का जज्बा हो। जो माँ की ममता, पिता का साया, भाई/बहन का प्रेम और स्पष्टवादी मित्र हो, वो होता है *कल्याण मित्र*। और हर एक मित्र जरुरी होता है लेकिन कल्याण मित्र जीवन के लिए ऑक्सीजन होता है। न मिले तो दुर्दशा कैसी ये हम और आप सभी जानते हैं। 

मेरे सभी कल्याण मित्रों को समर्पित यह रचना 

दोस्ती      एक    ऐसा     रिश्ता
जिसमें      उम्र,    जाति,    धर्म, 
पैसा,    काम,  या परिवार  नहीं
मायने      रखता   है    व्यवहार,
अटूट     विश्वास     और    प्यार
कह    सकें  दिल  की  हर  बात
बिन भूमिका या बिन ये कहे कि 
किसी   से    कहना  मत    यार,
और     हो     सके   बिना   द्वेष
दोस्त   की  खुशी  में  हम  खुश
दुख में हो  जाए  ये  मन  आहत
मैं और तुम 'हम' बनकर निभाएं 
ताउम्र  ये रिश्ता  यही है चाहत। 

मेरे सभी मित्रों के जीवन मे कोई न कोई कल्याण मित्र जरुर हो ये कामना हमेशा करुँगी, और मेरे सभी मित्रों को मेरा मित्र होने के लिए दिल से आभार -> 

साथ ही एक सच यह भी👇🏼
काफिला साथ चलता है अकसर कामयाबी के बाद,..
बिरले ही होते हैं जो संघर्ष में साथ देते हैं,.
कामयाब होने के बाद हाथ थामने वालों को क्या कहूं,..?
"दोस्त" वो होते हैं जो मुश्किल वक्त में हाथों में हाथ देते हैं,..!
संस्थापक
अन्तरा शब्दशक्ति
*डॉ प्रीति समकित सुराना*

समर्पित आप श्री के चरणों में,

मेरा शौर्य  और संवेग  समर्पित आप श्री के चरणों में, 
वाणी  आपकी  ही  गूंजती  है प्रतिपल  मेरे कर्णों  में,
सूरी पीयूष,  सम्यक ही बस गए मेरी हैं इन आँखों में,
गुरुवर सानिध्य का संकल्प सजा दो मेरे मन के वर्णों में।

डॉ प्रीति समकित सुराना

माँ का प्यार

जिसका प्यार  कभी अल्प नहीं होता,
जिसके बिना कोई संकल्प नहीं होता,
केवल "माँ का प्यार" ही है दुनिया में,
जिसका कोई भी  विकल्प नहीं होता।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

चमत्कार से कम नहीं,..!


            दो बिल्कुल विपरीत लड़कियाँ रुप, रंग, व्यक्तित्व, व्यवहार, परिस्थितियाँ और परिवेश की 3 माह 21 दिन का उम्र में फर्क था। छोटी लड़की के पहले जन्मदिन में मोहल्ले के बच्चों के साथ पहली बच्ची को भी बुलाया गया। उस पहली मुलाकात के बाद एक मोहल्ला, एक ही रिक्शा, एक ही स्कूल लेकिन केजी1 से 10वीं तक अलग अलग सेक्शन्स में रहीं या ये समझ लीजिए कि दोनों की दोस्ती के कारण रखा गया। ग्यारहवीं में एक ही विषय होने के बाद सिर्फ 2 साल एक क्लास में रहीं। घर पर भी परिवारों में बहुत मेल न था। एक तरह से एक के घर सर्व सुविधाओं के बीच बंधन कसे हुए थे, एक के घर सीमित साधनों में भी आजादी के एहसास थे। एक के घर दूसरी आती तो शान्ति से दबे पांव, दबी आवाज़ और दबे अंदाज़ में दूसरी के घर पहली आती तो झूले की पेंगों से भी तेज, तूफान की तरह और शरारतों की टोकरी लिए।
        वक़्त ने करवट ली। पहली जो ननिहाल में रही बचपन से वो पहुँच गई नाना घर से अपने घर। वहाँ से 3 साल बाद ससुराल। उसकी शादी के 4 साल बाद दूसरी की शादी हुई।
        सच कहूँ तो आज भी सैंकड़ों मीलों की दूरी है, दोनों में कोई समानता, कोई स्वार्थ, कोई लाभ-हानि नहीं सिर्फ एक ही आधार पर टिका है दोनों का रिश्ता वो है "विश्वास युक्त प्रेम"।
        हाँ! आज पूजा का जन्मदिन है और प्रीति-पूजा की विस्मयकारी दोस्ती की 44वीं वर्षगाँठ भी। जो किसी *चमत्कार* से कम नहीं। ढेरों शिकायतों के बाद भी दोनों खुश हैं साथ-साथ वो भी ताउम्र दोस्ती निभाने के लिए सपरिवार❤️😘। 

डॉ प्रीति समकित सुराना

तमस घनेरा छट जाएगा

तमस घनेरा छट जाएगा
नया सबेरा फिर आएगा 

कहा समय ने ही ये मुझसे
बुरा समय है कट जाएगा 

समय समय की है ये बातें
समय नया दिन खुद लाएगा 

नहीं बदल पाया जीवन तो
समय ठहर कैसे पाएगा 

कल फिर कल वो होगा जिसमें
नया सबेरा फिर आएगा
बुरा समय है कट जाएगा
तमस घनेरा छट जाएगा 

डॉ प्रीति समकित सुराना

Friday, 30 April 2021

बेड़ा पार करेंगे राम

छोड़ बुरे करो अच्छे काम।
सहना सीखो छाँव-घाम।
धैर्य धारण कर लोगे जब,
तो बेड़ा पार करेंगे राम।। 

सच्चा भक्त, या हो वाम।
करे दंड-भेद-दाम या साम।
उद्देश्य अगर लोकहित हो,
तो बेड़ा पार करेंगे राम।। 

चरण प्रभु के लेना थाम।
जाकर राम प्रभु के धाम।
जनहित की करना याचना,
तो बेड़ा पार करेंगे राम।। 

याद रखो बस सुबह-शाम।
नाम जपो तुम आठो याम।
मैले मन को निर्मल कर लो,
तो बेड़ा पार करेंगे राम।। 

केवल जपना नहीं है नाम।
कर्मों का ही मिलेगा दाम।
कर्म यदि होंगे अच्छे सब,
तो बेड़ा पार करेंगे राम।। 

डॉ प्रीति समकित सुराना

मानवता की परीक्षा है

बीते  तीन  दिनों में  तीन अपनों को खोया है
पल-पल,  बात-बात  पर मन ये मेरा  रोया है
हे! ईश्वर कैसी कठिन मानवता  की परीक्षा है
तू बतला भगवान कि तू जाग रहा या सोया है 

डॉ प्रीति समकित सुराना

#आसमाँ कुछ बोल

छोटी सी मेरी औकात
क्या दूँ मैं कोई सौगात

पीड़ा तीखी दिल में आज
गिन न सकी इतने आघात

सुख मानो कुछ पल की ओस
दुख आँसू की है बरसात

अब तू आसमान कुछ बोल
तुझ संग है तारों की बारात

अब सुखमय हो हर इक जीव
दिन हो खुश, जगमग हो रात।

डॉ प्रीति समकित सुराना