मेरा शौर्य और संवेग समर्पित आप श्री के चरणों में,
वाणी आपकी ही गूंजती है प्रतिपल मेरे कर्णों में,
सूरी पीयूष, सम्यक ही बस गए मेरी हैं इन आँखों में,
गुरुवर सानिध्य का संकल्प सजा दो मेरे मन के वर्णों में।
डॉ प्रीति समकित सुराना
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