प्रेम
संतुष्टि है
अधूरापन है
खुशी है
दर्द है
मिलन है
विछोह है
सुरक्षा है
भय है
सदेह है
विदेह है
पास है
दूर है
मनोरम है
मनोरोग है
सुनो!
मैं हूँ, तुम हो
हम हैं,..
बस यही प्रेम है
और
ये प्रेम ही है
प्रीति सुराना
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