Thursday 18 April 2019

खुशियों वाली घड़ी

ज़िंदगी में कई बार
होता है ऐसा
कि गुजरते वक्त का
पल-पल
यूँ लगता है
टल क्यों नहीं जाता
या रेत सा हाथों से
फिसल क्यों नहीं जाता
ठीक ऐसे ही पलों के बीच
आ जाए
खुशी का एक लम्हा अगर
तो लगता है
ये लम्हा मुट्ठी में भर लो
इससे पहले
कि
इसका इरादा बदल न जाए
वक्त निकल न जाए
ये खुशियों वाली घड़ी
टल न जाए,...
जी लें जी भर इस लम्हे को!

प्रीति सुराना

3 comments:


  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (20-04-2019) को "रिश्तों की चाय" (चर्चा अंक-3311) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    - अनीता सैनी

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति प्रीति जी।

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