हर कोई नये नये फलसफे बताता है
जीवन समर में संभलना सिखाता है
जिस पर खुद से ज्यादा यकीन हो
अकसर यकीन वही तोड़ जाता है
ये दिल भी देखो न कितना पागल है
जो दर्द दे उसी को दिल में बसाता है
जिसको भूल जाने की कोशिश करो
पल पल बेइंतहा वही याद आता है
थोड़ा ठहर जा प्रीत अभी वक्त बुरा है
याद रख फिर से अच्छा वक़्त आता है
प्रीति सुराना
कहते हैं जीते हैं उम्मीद पर लोग
ReplyDeleteहमको तो जीने की भी उम्मीद नहीं.
आपकी गजल पढ़ कर ग़ालिब का ये शेर याद आया.
नाफ़ प्याला याद आता है क्यों? (गजल 5)