Saturday 6 October 2018

फलसफे

हर कोई नये नये फलसफे बताता है
जीवन समर में संभलना सिखाता है

जिस पर खुद से ज्यादा यकीन हो
अकसर यकीन वही तोड़ जाता है

ये दिल भी देखो न कितना पागल है
जो दर्द दे उसी को दिल में बसाता है

जिसको भूल जाने की कोशिश करो
पल पल बेइंतहा वही याद आता है

थोड़ा ठहर जा प्रीत अभी वक्त बुरा है
याद रख फिर से अच्छा वक़्त आता है

प्रीति सुराना

1 comment:

  1. कहते हैं जीते हैं उम्मीद पर लोग
    हमको तो जीने की भी उम्मीद नहीं.
    आपकी गजल पढ़ कर ग़ालिब का ये शेर याद आया.
    नाफ़ प्याला याद आता है क्यों? (गजल 5)

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