हाँ!
चलो मान लिया
मैं गलत हूँ
और
सरासर गलत ही हूँ,..
तो फिर क्या?
हर गलती
हर गुनाह की सज़ा होती है
मुझे वो भी मंजूर है,..
साथ रहना है
साथ चलना है
साथ निभाना है
इस पर विचार के लिए
तुम्हें समय चाहिये,...
और
इसी के ठीक विपरीत
मुझे तुम्हारे बिना
जी सकूँगी
ऐसे सवालों
और परिस्थितियों के लिये
न सोचने का समय चाहिये
न कोई और विकल्प,..
सुनो!
तुम्हें नफरत हो तो हो
पर
मेरा सच सिर्फ इतना सा
तुम साथ हो तो जिंदगी है
वरना एक पल की भी दरकार
मुझे नहीं है,...
तुम्हें मुबारक
वक्त का फैसला
पर
मेरा फैसला अडिग है,...
प्रीति सुराना
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