Thursday, 23 August 2018

सिर्फ सच

कभी-कभी
अचानक
बेसबब तुम्हारी उदासी
बेसबब तुम्हारा मौन
बेसबब तुम्हारा रूखापन
और
क्या हुआ का जवाब
पता नहीं
चुभता है मुझे
टीसता है मुझे
और हर बार
अनचाहे,
अनजाने,
दोषी पाती हूँ खुद को,
लगता है
कुछ तो है
जो छूट रहा है मुझसे
जो नहीं दे पाती
एक अदद
स्वाभाविक सी मुस्कान
तुम्हारे होठों पर,...
सुनो
अब ये न कहना
दोष मेरा नहीं
क्योंकि
सच तो यही है
नहीं हो पाती
कभी भी मैं
तुम्हारी स्थायी खुशियों के
मानकों पर खरी,..
पर ये भी उतना ही सच है
कि मुझे तुमसे प्यार था,
है और हमेशा रहेगा,
और सनद रहे
एक दिन तुम खुद कहोगे
मुझसे ज्यादा तुम्हे
किसी ने न चाहा,..

और हाँ!
मेरे बाद भी ये सच सिर्फ सच होगा,...

डॉ प्रीति सुराना

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