सूना सूना मन का कोना
ढूंढे खुद में खुद का होना
क्या पाया ये याद नहीं पर
याद है वो सब, पड़ा जो खोना
एक नसीहत दी है मन को
डगर न काँटो वाली बोना
बोयेगा जो वही फलेगा
कोशिश कर अब पड़े न रोना
कर सद्कर्म प्रीत सदा ही
सुख के बिछौने में फिर सोना,...
प्रीति सुराना
सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23.8.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3072 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद