Thursday, 19 April 2018

तुम जानो या मैं

सुनो!

जीवनपथ में
हर कदम पर
कांटे हैं,
चुभन है,
पीड़ा है,
आंसू है,...

फिर भी एक दूसरे के लिये
एक दूसरे के मन में
शांति है,
आस है,
विश्वास है,
मुस्कान है,...

कुछ कदम तुम्हारे पैरों पर मेरे पैर
कुछ कदम मेरे पैरों पर तुम्हारे पैर
मेरे पैरों में
कांटों की चुभन, पीड़ा और आंसू
तुम्हारे मन में मेरी पीड़ा से उपजी
असहनीय कसक, पीड़ा और आँसू,...

पर हर बार सबकुछ भूलकर,
मेरी खुशी की खातिर तुम्हारे चेहरे पर,
शांति, आस, विश्वास और मुस्कान,
और हर बार
तुम्हारी उस मुस्कान को सच करने के लिए,
मेरे मन में शांति, आस, विश्वास और सहनशीलता,...

हम दोनों हैं साथी
सुख-दुख में,
कर्म-धर्म में,
जीवन-मरण के शाश्वत पथ पर,
आदि से अनादि तक,
ये हमारे अतिरिक्त जाने कौन,...?

कितना कौतुकमय संबंध हमारा
भौतिक?
रासायनिक?
समीकरण?
मौन की भाषा या अलौकिक प्रेम?
ये बस तुम जानो या मैं,...

प्रीति सुराना

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