सुनो!
एक बात बताओ
किसने कहा
कि
सिर्फ महसूस करना ही प्रेम है?
यदि सिर्फ यही प्रेम है
तो फिर
सब कुछ कह देना
पूरे यकीन और अधिकार के साथ
उसे क्या कहते हैं?
कभी-कभी
खामोशी सुनना चाहती है
वो आवाज़
जो मुझ तक आती है,
आँखों से, हाव-भाव से,
गुस्से से, प्रेम से,
काम से या फिर बेसबब
समझ आता है सब
पर जब हाथों में हाथ लेकर
सशब्द संवाद जरुरी हो
तो अखरता है
तुम्हारा चुप रहना,..!
डॉ प्रीति समकित सुराना



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