tag:blogger.com,1999:blog-14137603416577660942024-03-17T14:44:47.907+05:30"मेरा मन"copyrights protectedमेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.comBlogger2777125tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-62472492234303638542021-05-23T23:29:00.001+05:302021-05-23T23:29:56.176+05:30रुकना नहीं था मुझको...#जो जिंदगी में हर बार हार जाता हैजो खुद को भीड़ में तन्हा पाता हैठिठककर सफल लोगों को देखकरफिर सोचता है,.. रुकना नहीं था मुझको,..!#प्रीतिसमकितसुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-65433422806419702932021-05-23T00:09:00.001+05:302021-05-23T00:09:26.163+05:30जब कोई अपना जाता हैजिनसे प्यार हो दिल में उनकी तस्वीर बन जाती है,माना रोज देखते हैं उन्हें पर आँखें रोज भर आती है,उन्हें मेरी आँखों मे आँसू नहीं थे कभी भी पसंद,ये बात उन्हें देख देखकर ज्यादा रुलाती है।डॉ प्रीति समकित सुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-68973824016847043222021-05-22T01:00:00.001+05:302021-05-22T01:00:00.182+05:30बन और बिखर रहे हैं न सूरज सा जलने के हुनरन उगना उगानापर हर शाम ढल रहे हैं न मंजिल का पतान रास्ते का ठिकानाबस बेमकसद चल रहे हैं न चाँद सी शीतलतान ढंग का रंग रुपफिर भी ख्वाबों में निकल रहे हैं न बर्फ सी तासीरन जमना न पिघलनालेकिन जम और पिघल रहे हैं। न मिट्टी होने का अहसासन मिट्टी होकर मिट्टी में मिलने का हौसलादेखो तो जुर्रत हमारीबार-बार बन और बिखर रहे हैं। हर शाम ढल रहे हैंबेमकसद चल रहे मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-37265296479053641682021-05-21T23:27:00.001+05:302021-05-21T23:27:24.884+05:30कलम ही छोड़ दी मैंने,...! कलम ही छोड़ दी मैंने,...!
प्रेम लिखूँ कैसे
रुदन सांसों में घुल रहा हो जब
विरह सहूँ कैसे
कोई अपना बिछुड़ रहा हो जब
माहौल देखकर फरेबी
कलम ही छोड़ दी मैंने
जुनून सा था ये
नया कुछ करना है जमाने में
जुटी हुई थी मैं तो
जीवन की नई राहें बनाने में
मगन रहती थी मकसद में
लगन वो तोड़ दी मैंने
उठती ही तरंगे भी
खुशहाल वतन के सपने की
रुख नाराज़ कुदरत का
कोशिश की बहुत मनाने की
हिम्मत जो रगों में बहती थी
लहर भी मोड़ दीमेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-57613405544599908372021-05-12T23:50:00.001+05:302021-05-12T23:50:18.992+05:30कल्याण मित्र*हर एक दोस्त जरूरी होता है* आज मैं इस बात को हमारे गुरुजनों के दर्शनानुसार एक नए तरीके से पल्लवित करने का प्रयास कर रही हूँ।जीवन मे नौ रस, सात रंग होते है सभी का अलग अलग अनुपातों में मिश्रण नए रंग और नए रस का जनक होता है। उसी तरह मित्र भी व्यवहार और साहचर्य के अनुसार पाँच प्रकार के होते हैं।1. खाली मित्र2. ताली मित्र3. प्याली मित्र4. थाली मित्र5. कल्याण मित्रआप सभी सोच रहे होंगे कि ये किस मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-77031953643722548722021-05-12T23:49:00.003+05:302021-05-12T23:49:41.334+05:30समर्पित आप श्री के चरणों में, मेरा शौर्य और संवेग समर्पित आप श्री के चरणों में, वाणी आपकी ही गूंजती है प्रतिपल मेरे कर्णों में,सूरी पीयूष, सम्यक ही बस गए मेरी हैं इन आँखों में,गुरुवर सानिध्य का संकल्प सजा दो मेरे मन के वर्णों में।डॉ प्रीति समकित सुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-31393160618457088022021-05-12T23:49:00.001+05:302021-05-12T23:49:05.595+05:30माँ का प्यारजिसका प्यार कभी अल्प नहीं होता,जिसके बिना कोई संकल्प नहीं होता,केवल "माँ का प्यार" ही है दुनिया में,जिसका कोई भी विकल्प नहीं होता।#डॉप्रीतिसमकितसुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-50667373174477350892021-05-12T23:48:00.003+05:302021-05-12T23:48:43.278+05:30चमत्कार से कम नहीं,..! दो बिल्कुल विपरीत लड़कियाँ रुप, रंग, व्यक्तित्व, व्यवहार, परिस्थितियाँ और परिवेश की 3 माह 21 दिन का उम्र में फर्क था। छोटी लड़की के पहले जन्मदिन में मोहल्ले के बच्चों के साथ पहली बच्ची को भी बुलाया गया। उस पहली मुलाकात के बाद एक मोहल्ला, एक ही रिक्शा, एक ही स्कूल लेकिन केजी1 से 10वीं तक अलग अलग सेक्शन्स में रहीं या ये समझ लीजिए कि दोनों की दोस्ती के कारण मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-91018236019564615912021-05-12T23:48:00.001+05:302021-05-12T23:48:12.927+05:30तमस घनेरा छट जाएगा तमस घनेरा छट जाएगानया सबेरा फिर आएगा कहा समय ने ही ये मुझसेबुरा समय है कट जाएगा समय समय की है ये बातेंसमय नया दिन खुद लाएगा नहीं बदल पाया जीवन तोसमय ठहर कैसे पाएगा कल फिर कल वो होगा जिसमेंनया सबेरा फिर आएगाबुरा समय है कट जाएगातमस घनेरा छट जाएगा डॉ प्रीति समकित सुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-38021728708618800162021-04-30T23:04:00.003+05:302021-04-30T23:04:50.420+05:30बेड़ा पार करेंगे राम छोड़ बुरे करो अच्छे काम।सहना सीखो छाँव-घाम।धैर्य धारण कर लोगे जब,तो बेड़ा पार करेंगे राम।। सच्चा भक्त, या हो वाम।करे दंड-भेद-दाम या साम।उद्देश्य अगर लोकहित हो,तो बेड़ा पार करेंगे राम।। चरण प्रभु के लेना थाम।जाकर राम प्रभु के धाम।जनहित की करना याचना,तो बेड़ा पार करेंगे राम।। याद रखो बस सुबह-शाम।नाम जपो तुम आठो याम।मैले मन को निर्मल कर लो,तो बेड़ा पार करेंगे राम।। केवल जपना नहीं है मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-33514527610954192372021-04-30T23:04:00.001+05:302021-04-30T23:04:19.872+05:30मानवता की परीक्षा है बीते तीन दिनों में तीन अपनों को खोया हैपल-पल, बात-बात पर मन ये मेरा रोया हैहे! ईश्वर कैसी कठिन मानवता की परीक्षा हैतू बतला भगवान कि तू जाग रहा या सोया है डॉ प्रीति समकित सुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-25198525587109135982021-04-30T23:03:00.001+05:302021-04-30T23:03:34.675+05:30#आसमाँ कुछ बोलछोटी सी मेरी औकातक्या दूँ मैं कोई सौगातपीड़ा तीखी दिल में आजगिन न सकी इतने आघातसुख मानो कुछ पल की ओसदुख आँसू की है बरसातअब तू आसमान कुछ बोलतुझ संग है तारों की बारातअब सुखमय हो हर इक जीवदिन हो खुश, जगमग हो रात।डॉ प्रीति समकित सुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-55787987402835431922021-04-16T12:37:00.001+05:302021-04-16T12:37:57.643+05:30*हिंदी साहित्य राष्ट्र गौरव सम्मान* *सूचना एवं सम्मान* के लिए हार्दिक आभार आदरणीय, मार्गदर्शक और परम मित्र Dinesh Dehati Kavi जी एवं साहित्य संगम संस्था तिरोड़ी का जिन्होंने यह सूचना [30/03, 15:32] को व्हाटसप पर दी। "हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने एवं अपनी निरंतर हिंदी लेखन में सफलता के लिए *डॉ प्रीति समकित सुराना वारासिवनी* को *हिंदी साहित्य राष्ट्र गौरव सम्मान* 10 अप्रैल को मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-72674474709259984732021-04-16T12:19:00.001+05:302021-04-16T12:20:59.253+05:30सहचलन*सहचलन*जितने नकारात्मक या बचकाने काम हैअकेली उंगली से हो जाते हैकनिष्का से कुट्टी करना या लघुशंका का इशारा,अनामिका से नुक़्क़ीन बांधना(यानि न छूने का इशारा)मध्यमा दिखाकर गाली देनातर्जनी से दोषारोपणऔर अंगूठे से धत्ता दिखाना!परकनिष्का से कहा की कलम पकड़ लेअनामिका से अपेक्षा की कनिष्का का साथ देमध्यमा से निवेदन किया पन्ने पलट लेतर्जनी से कहा मुझे मेरे दोषों से अवगत कराअंगूठे से कहा तर्जनी से मिले बिना मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-10990666590224105912021-04-15T21:09:00.001+05:302021-04-15T21:09:24.267+05:30जिंदगी! देखजिंदगी! देखतू है तो सब कुछ हैतू है और मैं मर-मर कर जियूँये ठीक तो नही है न?और तेरे लिए हीहर हालात से लड़ना सीख लिया है मैंने,..छलावा नहीं हैअब मेरी मुस्कुराहट मेंअपने दर्द और आँसुओं कोपीना सीख लिया मैंने,..हाँ जिंदगी! देखमैं खुश हूँऔरतेरी खातिरजीना सीख लिया मैंने,..!डॉ प्रीति समकित सुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-10363809840670357982021-04-15T21:07:00.001+05:302021-04-15T21:07:52.509+05:30*समर्थ नारी गौरव सम्मान* 2021 मेरी 14 पुस्तक "सृष्टि मेरे आँचल में,..!"(लिपिबध्द पुस्तक एवं ईबुक दोनों प्रकाशित)*समर्थ नारी गौरव सम्मान* 2021 (अप्रतियोगी)ईबुक का लिंकसृष्टि मेरे आंचल में - डॉ. प्रीति सुराना - antrashabdshakti.com/2021/04/09/सृष्टि-मेरे-आंचल-में-डॉ-प्/सभी पुस्तकें एक साथ 👇🏼antrashabdshakti.com/category/समर्थ-नारी-गौरव-सम्मान/निम्नलिखित *आ. रचनाकारों* कोअन्तरा शब्द शक्ति प्रकाशन एवं संस्था द्वारा आयोजित मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-20053279387510032362021-04-15T21:06:00.003+05:302021-04-15T21:06:55.659+05:30मेरी 13वीं पुस्तक "प्रीत के गीत" मेरी 13वीं पुस्तक "प्रीत के गीत" यूँ तो विमोचन हुए तीन महीने से ज्यादा हो गए हैं पर आज पन्ने पलटते हुए मन किया कि सखी Ranjana जी का आभार व्यक्त करुँ जिनकी लिखी भूमिका ने मेरी पुस्तक का महत्व बढ़ा दिया।दिल से आभार सहित प्रस्तुत है उनकी लिखी भूमिका👇🏼प्रीत के गीत की गूँज============= अक्षर ब्रह्म है। शब्दों में समाहित अक्षर-समूह जीवन रचना का आधार मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-48414342186480404672021-04-15T21:06:00.001+05:302021-04-15T21:06:16.323+05:30*क्या संबंधों में स्थिरता के चार सेतु समझ, सहयोग, सहभोज, संवाद हैं?*नदी के दो किनारों की तरह दो स्वतंत्र व्यक्तिव मिलकर जब अपनी रिक्तता को स्नेह जल से भरते हैं तो प्रवाहित स्नेह से उपजे अनेक संबंधों को बांधने वाला सेतु बहुत मजबूत हो यह रिश्तों की स्थिरता और प्रगाढ़ता के लिए अनिवार्य है।कल जब यह विषय आलेख के लिए चुना तब से मस्तिष्क में बार-बार मेरे दोनों परिवार यानि घर और अन्तरा शब्दशक्ति का नाम कौंधता रहा।मेरी समझ से मैंने 'स' को 'स' से जोड़ने का प्रयास किया जिससे&मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-74825785386605079072021-04-04T12:22:00.001+05:302021-04-04T12:22:54.853+05:30भारत विकास परिषद द्वारा सम्मानभारत विकास परिषद के संस्थापक डॉ सूरज प्रकाश जी की जन्मशताब्दी वर्षगाँठ पर महाकौशल के महासचिव डॉ नीरज अरोरा जी के संयोजन में समाज में उत्कृष्ट कार्यों हेतु गणमान्य नागरिकों का शाखा वारासिवनी में सम्मान किया गया। डॉ. के एस में जी (क्षेत्रीय महासचिव), प. आलोक मिश्रा (प्रांताध्यक्ष), इंजि. सुनील कोठारी (राष्ट्रीय मंत्री), आ. वैभव कश्यप जी (जिला संघ चालक), के कर कमलों से यह सम्मान मुझे भी प्राप्त हुआ,मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-92053253553542753782021-04-04T12:21:00.001+05:302021-04-04T12:21:33.395+05:30*कुछ तो बात है* अन्तरा शब्दशक्ति के साथ*साल के 52 सप्ताह*52 सप्ताह में प्रति सप्ताह तीन दिन शब्द, पंक्ति या चित्र पर कविता लिखनायानिकम से कम 156 कविताएँ,..प्रति सप्ताह नए विषय पर500 शब्दों में एक आलेखयानि 52 आलेख कम से कम 156 पन्नों का गद्य लेखन,..प्रति सप्ताह नए विषय परएक कथा/कहानीयानि 52 कथा/कहानीकम से कम 80 पन्नों का कहानियों का संकलन,..साल में एक बार0 रचनाओं की समीक्षायानि कम से कम 16 मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-87942623375009841792021-04-02T21:11:00.001+05:302021-04-02T21:11:49.298+05:30सृष्टि मेरे आँचल में,..!हाँ सशक्त हूँ मैं, मुझे सक्षम होने दो,अबला न कहो मुझे, बस डर कम होने दो,मुझमें हुनर है सृजन का और सृष्टि मेरे आँचल में,..,सारे कर्तव्य सिर माथे पर लेकिन अधिकार भी पुरुषों सम होने दो!नारी सशक्तिकरण या सक्ष्मीकरण की बात करें तो मैं यहीं आकर रुक जाती हूँ कि हम सब कुछ पुरुषों की तरह ही पाना चाहती हैं तो वो पुरुष होकर जितना संतुष्ट हैं,अगर हम स्त्री होकर उतने संतुष्ट हो जाएं मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-82960550729253983742021-04-02T00:32:00.001+05:302021-04-02T00:32:43.810+05:30*कोयले की दलाली में हाथ काले* 'दलाली' एक शुद्ध व्यापार है जिसमें आपको जो काम खुद करने का समय न हो उसे किसी के माध्यम से करवाया जाता है जिसके बदले एक तय राशि या अंश उसे दिया जाता है जिसे एजेंट या बिचौलिया या दलाल कहते हैं।
सच है *कोयले की दलाली में हाथ काले होते हैं* यानि बुरे कामों का माध्यम बनोगे तो बदनामी के दाग मिलेंगे ही। पर कभी इस पहलू से सोचा आपने कि दलालों की आवश्यकता ही क्यों पड़ी?
मंदिर में भगवान से मिलने गए तो मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-13509526411880220402021-03-30T12:06:00.003+05:302021-03-30T12:06:53.363+05:30अचानक याद आयाअचानक याद आयाउस होली का वो पलजिसमेंमैं पानी सी तरल हुईतुम रंग से घुले मुझमेंकुछ इस तरहकि मेरी रंगत बदल दी तुमनेफिरकभी कोईअलग न कर सका हमेंजैसे होंजिस्म मैं रुह तुमदिल मैं धड़कन तुमजिंदगी मैं सांसें तुमतुम मैं और मैं तुमपानी में घुले रंग से,...!डॉ प्रीति समकित सुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-43318619526564233652021-03-30T12:06:00.001+05:302021-04-02T21:10:23.874+05:30*मेरा प्यारा परिवार और होली का उपहार**मेरा प्यारा परिवार और होली का उपहार*💚🧡🖤❤️🤍🤎आज मनाई मिलकर होलीअन्तरा के आंगन में,*कीर्ति 'छबीली'* फिरती रहीदिन भर पूरे प्रांगण में!*पिंकी 'स्वीटी दीदी'* नेखूब बनाए नाम सभी के,खुश होकर की बातें की बहुत*आशु 'अन्तरा की छुटकी'* ने!*दिनेश देहाती* बहुत *'अनुभवी'**संदीप सोनी* बड़े *'मेहनती संपादक'**टीना सोनी* संदीप की *'सुषमा'*,*सरफ़राज़ 'सूरमा'* *रंजना जी 'धर्मानुरागी'*!*पंकज* चमके *'जुगनू'* जैसा,*मेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1413760341657766094.post-62305939696255218952021-03-26T14:47:00.001+05:302021-03-26T14:47:43.891+05:30तूने बहुत मायूस किया...तू उदास है इन दिनों ये मैंने महसूस किया।बाइरादा तेरी खुशियों को महफूज़ किया।पर पूछने पर भी तूने दर्द छुपाया मुझसे,इस तरह से मुझे तूने बहुत मायूस किया।डॉ प्रीति समकित सुरानामेरा मनhttp://www.blogger.com/profile/09426000406088677770noreply@blogger.com1