Friday, 26 March 2021

स्त्री और स्त्रीत्व

बार-बार 
हमारे स्त्री होने को सत्यापित करके
यूँ भी हमें 
मान लिया गया है
कुछ अलग,... असाधारण,... अनूठा!
और 
कुछ अलग, असाधारण, अनूठा होकर
लीक से हट कर
अपनी पहचान को कायम रखते हुए,..
सृष्टि की निरन्तरता का
सबसे बड़ा दायित्व निभाते हुए
आभार सृष्टि और सृष्टि के रचयिता का
जिसने
हमारे होने को सहजता से स्वीकारते हुए
बिता दी सदियाँ
हमारे होने का उत्सव मनाते हुए,..
सच!
गौरवान्वित हैं
स्त्री भी, स्त्रीत्व को निभाते हुए,..!

डॉ प्रीति समकित सुराना

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