विश्व गौरैय्या दिवस पर विशेष
(20मार्च2021)
ओ री गौरैय्या,..!
धरती पर खुशियाँ लाती जो चिरैय्या,
अस्तित्व अपना खो रही है आज गौरैय्या,
दाना-पानी-प्रेम देकर इनको बचा लो
खेले फिर से आंगन में जैसे हो बिटिया,..!
फुदकती थी सुबह से, चहचहाती थी,
कोई खतरा पास आता तो बताती थी,
कीड़े सारे साफ करके घर और आंगन के,
बीमारियों को दूर वो हमसे भगाती थी!
ओ री गौरैय्या बता तू गुम हुई है क्यों,
भूल मानव ने है की और भोगती है तू,
बेटियों बिन जग है सूना ओ री चिरैय्या,
माफ कर और लौटकर तू आ री गौरैय्या,...!
धरती पर खुशियाँ लाती जो चिरैय्या,
अस्तित्व अपना खो रही है आज गौरैय्या,
दाना-पानी-प्रेम देकर इनको बचा लो,
खेले फिर से आंगन में जैसे हो बिटिया,..!
तू तो इस प्रकृति की मित्र है सच्ची,
बातें बड़ी है मानव की अक्ल है कच्ची,
सीख रहा है अभी प्रदूषण को रोकना,
तू सिखा सबको सबक तू है गुरु अच्छी,
ओ री गौरैय्या तेरा होना जरूरी है,
प्यास से तू न मरे कोशिश ये जारी है,
गलतियों को आज हम मिलकर सुधारेंगे,
तू खेल आकर बारिशों में छपक-छैया,..!
धरती पर खुशियाँ लाती जो चिरैय्या,
अस्तित्व अपना खो रही है आज गौरैय्या,
दाना-पानी-प्रेम देकर इनको बचा लो,
खेले फिर से आंगन में जैसे हो बिटिया,..!
वृक्ष हम रोपेंगे हर गली में प्रांगण में,
डालेंगे दाना रोज हम घर के आंगन में,
पानी के दोने रखेंगे छत पर हम अपनी,
घोंसला आकर बना हमारी जाजम में,
माना हमने की है गलती भान है हमको,
प्रदूषण ने दे दी सजा इस बात की सबको,
बस एक बार भूलकर सब लौट कर आ जा,
मझधार से निकाल दे अटकी है जो नैय्या!
धरती पर खुशियाँ लाती जो चिरैय्या,
अस्तित्व अपना खो रही है आज गौरैय्या,
दाना-पानी-प्रेम देकर इनको बचा लो,
खेले फिर से आंगन में जैसे हो बिटिया,..!
डॉ प्रीति समकित सुराना
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