समय सब समझता है
जानता है
प्रेम-गुस्सा,
सफलता-असफलता,
सुख-दुख,
आशा-निराशा,
होता है वो भी दुखी
अपने किये पर
जब अच्छे काम का अच्छा परिणाम
नहीं दे पाता
क्योंकि अच्छे-बुरे समय पर
उसका खुद का बस नहीं चलता,
समझने लगी हूँ मैं
समय की पीड़ा
इस बार जब मिला मुझसे
मुझे गले लगाकर रोया वो,..!
डॉ प्रीति समकित सुराना



0 comments:
Post a Comment