Friday, 26 March 2021

मैं अब भी बच्चा ही तो हूँ!

मुझमें अब भी बचपन ही तो है
बड़प्पन की अपेक्षा मुझसे क्यूँ?
हाथ मे कॉपी पेंसिल और रबर थे
बड़े सिखाते थे
मैं लिखता था
गलतियों पर समझाते थे
मैं मिटाता था
सुधारता था गलतियाँ अपनी,
आज
कीबोर्ड पर बैक की बटन है
सामने टीचर है
पर बगल में बैठे दोस्त नहीं,
शोर करने का मन करता है
कक्षा में पनिशमेंट में भी मज़ा था,
पर पढ़ता हूँ आज बिल्कुल अकेले
न शोर, न मस्ती, न डाँट, न पिटाई,
पहले गेम खेलने के लिए भी
मोबाइल माँगने पर डाँटते थे मम्मी पापा
आज एक लेक्चर भी मिस हो जाए तो डाँट पड़ती है
पर खेल न मोबाइल पर, न गार्डन में 
क्योंकि
न कोई भी दोस्त घर के बाहर नहीं आता
समझ में नहीं आता
कि किस बात के लिए मैं बड़ा हूँ
और किस काम के लिए मैं छोटा
कौन समझेगा मुझे
मैं फिर से स्कूल जाना चाहता हूँ
मैं अब भी बच्चा ही हूँ
मुझमें अब भी बचपन ही तो है! 

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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