Friday, 26 March 2021

राष्ट्रीय कवि संगम का संभागीय अधिवेशन 14/03/2021 को छिंदवाड़ा में

राष्ट्रीय कवि संगम का संभागीय अधिवेशन 14/03/2021 को छिंदवाड़ा में संम्पन्न हुआ। अनुशासित और अविस्मरणीय आयोजन में बाबा राष्ट्रीय संरक्षक Baba Satyanarayan Mourya राष्ट्रीय स्वयं सेवक आ. मोहन नागर  जी एवं प्रदेश अध्यक्ष Shambhu Manhar जी के साथ प्रदेश उपाध्यक्ष एवं बालाघाट जिला इकाई  के संरक्षक के रुप में बालाघाट की इकाई की अध्यक्ष Alka Chaudhary, Kushal Jain Kishor Chhipeshwar भाऊराव महंत एवं पंकज 'जुगनू' के साथ शामिल होना सुखद रहा।
"राष्ट्र जागरण धर्म हमारा" का संकल्प पुनः दोहराया। बाबा का अनमोल सानिध्य दिन को अविस्मरणीय बना गया।

*पंकज जुगनू द्वारा दी गई कार्यक्रम की विस्तृत रिपोर्ट निम्नलिखित है*

दिनांक 14 मार्च 2021 को श्री जी काम्पलेक्स छिंदवाड़ा में राष्ट्रीय कवि संगम का छिंदवाड़ा अधिवेशन शानदार सफल रहा। 
          एक दिवसीय अधिवेशन में यह कार्यक्रम दो चरणों में पूर्ण हुआ। जिसमें प्रथम चरण में मुख्य अतिथि के रूप में मां भारती के उपासक राष्ट्रवादी कवि बाबा सत्यनारायण मौर्य जी, राष्ट्रीय कवि संगम के प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर शंभू सिंह मनहर जी, वारासिवनी से प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ प्रीति समकित सुराना जी, छिंदवाड़ा के अनुज जी ने मुख्य अतिथि के रूप में भूमिका निभाई। मोहन नगर जी की अल्पकालिक उपस्थिति ने कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार किया।  सबसे पहले काव्य मनीषियों द्वारा मांँ भारती और मांँ वीणापाणि सरस्वती का विधिवत पूजन वंदना गाकर किया गया। तत्पश्चात प्रदेश अध्यक्ष शंभू सिंह मनहर जी द्वारा हिंदी के वास्तविक स्वरूप, उसके प्रयोग, और राष्ट्रवाद में विशुद्ध हिंदी के महत्व पर विस्तृत व्याख्यान दिया गया। उसके पश्चात प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ प्रीति समकित सुराना जी ने राष्ट्रवाद के लिए एकता के विषय पर बल दिया। राष्ट्रवाद के लिए एकता जरूरी है। 'मैं' से निकलकर 'हम' का प्रयोग राष्ट्रवादी भावना को जागृत करता है, के विषय पर संभाषण दिया गया। तत्पश्चात मांँ भारती के पुजारी, राष्ट्रवादी कवि एवं अद्वितीय चित्रकार बाबा सत्यनारायण मौर्य ने सनातन संस्कृति,  हिंदी विषय तथा मानव समाज के उत्थान के लिए विभिन्न विषयों पर ओजपूर्ण व्याख्यान दिए और उपस्थित कविवृंदों को ओज से भर दिया। धार्मिक ग्रंथों, भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवादिता, सामाजिक समरसता और राष्ट्रवादी लेखन उनके व्याख्यान के मुख्य विषय रहे। छिंदवाड़ा अधिवेशन में बालाघाट, सिवनी छिंदवाड़ा और बैतूल जिले से आए कवियों और साहित्यकारों का परिचय, नव कार्यकारिणी का परिचय कराया गया और प्रशस्ति चिन्ह द्वारा उनका सम्मान किया गया।
       दूसरे चरण में अधिवेशन में पहुंचे 4 जिलों बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा और बैतूल के अध्यक्षों के नेतृत्व में कवियों और साहित्यकारों द्वारा राष्ट्रवादी विषयों पर ओजपूर्ण रचनाएं पढ़ी गई, जिसमें राष्ट्रवादी चिंतन  के स्वर  दिखाई दिए। बालाघाट जिले से सबसे पहले कवि भाउराव महंत ने शानदार  गीत द्वारा  मानव में व्याप्त दर्द को मार्मिक गीत के माध्यम से ईश्वर को पुकारा और गाया- "देवता पाषाण के इतना बता दो, और कितने दिन शिला बनकर रहोगे, गीत से खूब तालियांँ बटोरी। इसके बाद युवा कवि किशोर छिपेश्वर 'सागर' ने राष्ट्रवाद और सैनिकों के सम्मान की रचना पढ़ी और गाया - "वो वतन का सिपाही खड़ा हो गया, कद अपनी नजर में बड़ा हो गया" से सभी को गदगद कर दिया। इसके बाद नवोदित युवा कवि कुशल जैन ने राष्ट्रवाद पर अपनी बातें रखी और शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद की वंदना की। बाद में युवा कवि पंकज जुगनू ने सामाजिक चेतना, और घटते मानव मूल्य का गीत पढ़ा "मम्मी मुझको मेरी दीदी कुछ बदली सी लगती है।" और खूब वाहवाही लूटी। बालाघाट जिले के राष्ट्रीय कवि संगम की अध्यक्ष सुश्री अलका चौधरी 'अनमोल' जी ने अपनी सुरीली आवाज से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया और कहा- "धीरे-धीरे संभल रही हूं, सांचे में ढल रही हूं, किसी और की फितरत नहीं बदल सकती, अपनी आदत बदल रही हूँ"। जैसे सुरीले मुक्तक से समा बांध दिया। 
          सभी जिलों के कवियों ने शानदार प्रस्तुति दी और एक से बढ़कर एक रचनाएं मंचो के माध्यम से पढ़ी। अंत में आ. मोहन नागर की का प्रेरक उद्बोधन हुआ तत्पश्चात वरिष्ठ कवियों और सभी जिलों के से आए कवियों और साहित्यकारों ने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम गाकर भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाए। कार्यक्रम लगभग 5:00 बजे तक चलता रहा इसके पश्चात राष्ट्रीय कवि संगम छिंदवाड़ा इकाई के जिला अध्यक्ष द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया और सभी को बधाई दी।

0 comments:

Post a Comment