Sunday, 3 January 2021

विनम्र श्रद्धांजलि



अन्तरा शब्दशक्ति के आधार स्तंभ, सुश्रावक, निःस्वार्थ साहित्य सेवी, गुजराती अनुवादक, बड़े भैय्या 
'आ. रक्षित दवे जी' का आज कुछ देर पहले ही कोविड के कारण देहांत हो गया। व्यक्तिगत रूप से भी बहुत बड़ी क्षति है यह मेरे लिये, कुछ दिन पहले ही वादा किया था कि प्रीति के 1001 पुष्प के नाम से उनके द्वारा अनुवादित किताबों का संग्रह निकलना है। किसे पता था ये स्वप्न अधूरा छोड़कर, मेरे सिर से आपका वरदहस्त ही हट जाएगा😭।
        भैय्या मैं जानती हूँ आप जहाँ भी होंगे आपका आर्शीवाद मुझे मिलता रहेगा। ईश्वर आपको सद्गति और आत्मा को शांति दे। यह पल मेरे लिए बहुत पीड़ा दायक है, आप कितने दिलों से जुड़े थे और कितनों की प्रेरणा थे ये आप नहीं जानते। सदैव स्मृतियों में रहेंगे आप, आपका स्नेह और आपका समर्पण मिसाल बनकर याद दिलाता रहेगा कि निस्वार्थ होकर सेवा कैसे की जाती है। 
शत शत नमन

डॉ प्रीति समकित सुराना
अन्तरा शब्दशक्ति प्रकाशन एवं संस्था
20 दिसम्बर 2020

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