Sunday, 1 November 2020

आज को बेहतर बनाओ

सुनो मन!
खुशी 
कितनी भी छोटी या बड़ी हो
द्वार से भीतर ले आओ
उसके लिए जरूरी है
द्वार को 
सुगंधित, सुंदर, रंग-बिरंगे फूलों से सजाओ।
जब जानते हो कि कांटे चुभते है, दुखते हैं, रुलाते हैं
तो घर आँगन में क्यों बोते हो?
अच्छे कर्मों के बीज बोओ
खरपतवारों को उखाड़ फेंको
और सारे काँटेदार बीज 
खुशी के लिए द्वार छोड़कर
धोखा देकर आने वाले दुखों से सुरक्षा के लिए 
परकोटे में लगाओ,..
खुद को भी आत्मविश्वास,
आत्मनिर्भरता, स्वाभिमान, शालीनता,
ईमानदारी और समर्पण से सुसज्जित करके
अपनी बुराइयों को खत्म करने की जिम्मेदारी खुद उठाओ,
उठो, जागो, संभलो
कल और काल का कोई भरोसा नहीं
आज में जीयो और आज को बेहतर बनाओ।
निंदक नियरे राखिए,आँगन कुटी छबाय....
और
बोया पेड़ बबूल तो आम कहाँ से होय,...
जैसे विषयों पर स्वाध्याय करते हुए
एक चिंतन, एक सोच, एक निर्णय 
खुद के लिए
सीधा संवाद खुद से,.. आज और अभी अभी।

डॉ. प्रीति समकित सुराना

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