खुशी/गम
गिला/शिकवा
अच्छा/बुरा
सफेद/काला
बहुत से चश्मे मिलते हैं बाजार में
पर
अपने चश्मे से किसी का
आकलन करने की बजाय
खुली आँखों से देखो जीवन को
तब समझोगे असली जीवन क्या है!
आधी हक़ीकत आधा फ़साना
चश्मा उतारो फिर यारों देखो
दुनिया नयी है चेहरा पुराना
कहता है जोकर सारा ज़माना…
(गीत सुनते हुए एक विचार अभी-अभी)
डॉ प्रीति समकित सुराना
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