करती हूँ बातें
हर मिलने वाले शख्स से
सुनती हूँ सलाह सबकी
लेती हूं मशविरा भी
पर सच कहूँ
जब लेना होता है
अंतिम निर्णय
या चाहिए होती है
किसी विशेषज्ञ की सलाह
(एक्सपर्ट एडवाइस)
तो करती हूँ
खुद से बातें
क्योंकि
वास्तविकता यही है
मेरी
अच्छाई/बुराई
गुण/अवगुण
भला/बुरा
जरूरत/कमी
खुशी/गम किसलिए है आँखों में नमी,
मुझसे ज्यादा
मुझे कोई नहीं जानता
कड़वा मगर सच,..!
(मुहावरों और कहावतों की किताब पलटते हुए थोड़ा स्वाध्याय, थोड़ा चिंतन,...अभी-अभी)
डॉ प्रीति समकित सुराना
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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