Sunday, 1 November 2020

अब मैं बड़ी हो गई हूँ न



बूढ़ी काकी
सहमी सी बैठी थी 
मैंने वजह पूछी 
तो बोली
अब मैं बड़ी हो गई हूँ न
इसलिये अपने बच्चों से 
थोड़ा डरने लगी हूँ
एक दिन तो मरना ही है
तो अभी से थोड़ा-थोड़ा मरने लगी हूँ!

डॉ प्रीति समकित सुराना

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