Sunday, 1 November 2020

बीत रहा है दो हज़ार बीस का यह साल

हँसी, ऑंसू, दर्द, खुशी, सपनों और उलब्धियों से भरा हुआ यह काल,
सुख-दुख के हिंडोले में झुलाता हुआ बीत रहा है दो हज़ार बीस का यह साल,
आइए बांटते है इस पल कुछ दिल की बातें आप और हम,
आप सभी को मेरा नमस्कार, जय जिनेन्द्र, हेलो, आदाब, सतश्री अकाल।

डॉ. प्रीति समकित सुराना

0 comments:

Post a Comment