हाँ!
मैं नमक सी हूँ,..!
खारी
जिसकी अधिकता से
कड़वाहट भी पैदा हो जाती है,
जले में लग जाऊं
तो आग सी जलन होती है,
पर
सोचना जरा
उच्च रक्तचाप में भी पूरी तरह नमकविहीन भोजन नहीं किया जा सकता
बेशक मात्रा कम ज्यादा की जाती है,..
शर्कराविहीन जीवन
आज के समाज का चलन है,
पर नमक के बिना जीना नामुमकिन है,
मिठास को बनाना पड़ता है
पर जल से उपजे नमक का खारापन
प्राकृतिक होता है,
माना कि शर्करा भी घुल जाती है तरलता में,
पर अगर नमक घुल जाए
तो मलिनता बैठ जाती है पात्र के तले में,
जिसमें नमी भी आ जाए तो फर्क नहीं पड़ता
शर्करा में नमी सडांध उत्पन्न करती है!
नमक के अधिक होने से ज्यादा
महसूस होता है नमक का न होना,..!
और तब मुझे गर्व होता है
मेरे नमक सी होने पर,
हाँ!
मैं नमक सी ही हूँ,..!
मैं खारी हूँ,...पर खरी हूँ!
डॉ प्रीति समकित सुराना
0 comments:
Post a Comment