प्रो. Saran Ghai जी
देश से दूर रहकर भी देशप्रेम की अनोखी मिसाल बनाई,
भले ही मिलते हैं साल में एक बार पर मित्रता हमेशा निभाई।
हिन्द और हिन्दी के प्रति आपके समर्पण को नमन,
आपको को ढेर सारी शुभकामनाएँ, आभार और बधाई।
डॉ प्रीति समकित सुराना
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सुन्दर
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