रोज सुलझाती हूँ जिसे
उस पहेली सी हो,
यूँ तो बरसो से हो इस शहर में,
पर अब भी नई नवेली सी हो,
सुख-दुख की साथी,
थोड़ी नटखट, थोड़ी जज़्बाती,
मुझे भले ही दीदी कहती हो,
पर सच कहूं तो सहेली सी हो।
खुश रहो, स्वस्थ रहो, संतुष्ट रहो।
जन्मदिन पर बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ।
डॉ प्रीति समकित सुराना
एवं
अन्तराशब्दशक्ति परिवार
बहुत सुन्दर. जन्मदिन की बधाई.
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