ये पल न भूल पाएंगे
बचपन शरारतों से भरा था
वो समय भी हम सा मसखरा था।
गिरते थे चोट लगती थी
सहेलियां ही उठाती थी
फिर खूब हँसती थी
अब तो ऐसा लगता है
जिंदगी बहुत लम्बी
और वो बचपन था जरा सा,..
बचपन शरारतों से भरा था
वो समय भी हम सा मसखरा था।
क्लासेस बंक करके
पूरा स्कूल घूम लेते थे
अपना टिफिन छोड़कर
सबसे एक-एक बाइट लेते थे
छीन-झपट कर अचार खाना
वो पल कितना प्यार भरा था,..
बचपन शरारतों से भरा था
वो समय भी हम सा मसखरा था।
आज जब मिले वेब मीट पर
तो लगा बचपन लौट आया
हम मम्मियां बन गई सारी
आज बच्चों ने हमें मिलाया
खूब हुई बातें फिर जब विदा ली,
आँखों में फेयरवेल सा ऑंसू भरा था,...
बचपन शरारतों से भरा था
वो समय भी हम सा मसखरा था।
वादा करो मिलते रहेंगे अब हम यूँही,
निकालकर मशरुफियत से वक्त ,
क्या हुआ जो बढ़ गई है जिम्मेदारियाँ,
हालात सिखाते हैं आज में जीना
बहुत याद आता है सबकुछ
मानो अभी ही हो वो मंजर हरा सा,...
बचपन शरारतों से भरा था
वो समय भी हम सा मसखरा था।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
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