Monday 3 August 2020

"मुझे नाज है अपने बच्चों पर"

#मुझेनाजहैअपनेबच्चोंपर

410 गौवंश लाया गया वारासिवनी गौशाला!
हृदय से गदगद हूँ इन मूक प्राणियों की रक्षा और सेवा के संस्कार हमारे बच्चों के रक्त में हैं। दादा श्री बुलाकी चंद जी सुराना, फिर पापा समकित जी सुराना, चाचा अभिषेक सुराना के बाद मेरे बच्चे तन्मय सुराना और जैनम सुराना भी इस मुहिम में सक्रिय हुए। गायों को पैदल लेकर आना, भागती गायों को पकड़ना, छोटे बछड़ों को उठाकर ट्रक में चढ़ाना, जिद्दी गायों को बस में करना आसान नहीं था। कई जगह चोटें आई, गोबर और गौमूत्र से सने जब घर लौटे तो चेहरे पर संतोष, थकान के बावजूद बछड़ों के रुदन का दुख तन्मय, जैनम, अभिषेक, समकित, सौरभ संचेती, विशाल संचेती, अशोक कोचर, आदेश मॉडल, भवानी भाई के चेहरे पर था। जिन बछड़ों को सबसे पहले लाया गया उनका रुदन सुनकर जयति और भवी-भव्य का द्रवित होना, मम्मी जी और शुचि का भावुक हो जाना, हमारे परिवार में सभी के कोमल मन में बसी संवेदनाओं को दर्शाता है। श्री विनोद संचेती चाचा जी इन पशुओं के आगमन पर उनके लिए आवश्यक व्यवस्थाओं में तत्परता से जुड़े हैं। सचमुच गौरवान्वित हूँ कि आज भी हममें संवेदनाएं जिंदा हैं।
एक विशेष बात:- एक दिन fb पर सिनी-टफी की फ़ोटो देखकर किसी ने कहा था कुत्तों से इतने लगाव की बजाय किसी गाय को पाल लेते, किसी जरूरतमंद की मदद कर देते। आज उन्हें ज्ञात तो कि वारासिवनी गौशाला से हम इस तरह जुड़े हैं कि जन्मदिन और वर्षगाँठ हो या कोई त्यौहार, मंदिर से पहले पशुओं को चारा खिलाते हैं। गौशाला के सभी कर्मचारियों के लिए गौशाला में ही मकान बनाकर दिए गए हैं जो हमारे हर खास दिन में शामिल होते हैं। हमारी गौशाला में दूध का व्यापार नहीं बल्कि तस्करी करके कत्लखाने ले जाई जा रही गायों का संरक्षण किया जाता है। वहीं आसपास कोई भी पशु जो असहाय हो या मारा जा रहा हो उसे संरक्षित किया जाता है। आज लगभग 1000 गोधन और लगभग 1400 कबूतर, 200 खरगोश, 60-70 कुत्ते हैं हमारे पास और समय-समय पर अन्य जानवर भी पलते हैं। 
जिनमें इन मूक पशुओं के लिए संवेदना है, वो स्वतः ही मानवीय संवेदनाओं से संस्कारित और पोषित होता है।
*"मुझे नाज है अपने बच्चों पर"*
ज्ञात हो कि वारासिवनी नगर की गौ शाला की टीम और पुलिस अधीक्षक बालाघाट, बहेला थाना के प्रभारी कमलेश साहू  के सात दिवसीय अथक मेहनत का परिणाम है कि प्रदेश की सीमाओ से लगभग 410 गौ वंशो की प्राण रक्षा की गई, सात दिनों मे अनेक उतार, चड़ाव, के बाद अंततः पुलीस अधीक्षक अभिषेक तिवारी के मार्गदर्शन में अनेक टीमो के संयुक्त प्रयास से एक बड़ी सफ़लता प्राप्त हुई, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, की सीमाओं से नक्सली क्षेत्र में जंगलो के भीतर तक जाकर अंततः बहेला थाना की टीम ने सफलता पायी, अभी और भी गौ वंशो की प्राण रक्षा के लिए पुलिस विभाग प्रयासरत है, बहेला पुलिस ने लगभग 410 गौ वंशों को वारासिवनी गौ शाला को हिफाज़त नामा में दे दिया है, लगभग वारासिवनी, बालाघाट के 40 युवाओं की टीम के साथ 85 किलोमीटर दूर से गौ वंशों को पैदल ही वारासिवनी ला रही थी, समाज के कुछ जागरुक व्यक्तियों ने अपने ट्रकों को सेवा में लगाकर काम को आसान बनाया और बहुत से बछड़े और गायें कल शाम गौशाला पहुंचे। लगभग तीन दिन के पैदल सफर में त्यौहारों के बावजूद युवाओं के जज्बे को देखकर सेवा भाव का असली परिचय स्वयं हो जाता है।
       सैकड़ो गौ वंश के साथ एक आरोपी को भी पकड़ने में सफलता मिली है, इस आरोपी ने कल रात्रि में साफ जानकारी देते हुए कहा की गौ वंश को महाराष्ट्र के नागपुर के साथ हैदराबाद छोड़ने की तैयारी थी, तस्करों के पूरे गिरोह को पकड़ने के लिए पुलिस अधिक्षक सहित पूरा पुलिस अमला तत्परता के साथ कार्य कर रहा है।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

1 comment:

  1. संस्कार बने रहें। शुभकामनाएं।

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