मैं दर्द से बिलखूं कभी तो बाहों में भर
जो मैं तड़प के रो दूँ तो तू प्यार कर
हाँ ख्वाहिशें हैं मेरी बहुत छोटी-छोटी
छुपा ले पहलू में जो कभी जाऊं मैं डर
जागती मिलूँ जो कभी किसी शब तुझे
करवट बदल ले और मुझे बाहों में भर
ज़िद में मचल जाऊं कभी बच्चों सी मैं
तू सुला मुझे लगा कर सीने से रात भर
हाँ! सुन, है प्यार मेरा यूँ हीं मासूम सा
कर ये वादा निभाएगा रिश्ता उम्र भर
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
सु न्दर
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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