Thursday 2 July 2020

खो देने का डर कैसा



सुनो!
सोचती हूँ कई बार
और तुम जानते तो हो
सोचती ही रहती हूँ
पर इस बार सिर्फ ये सोचा
खुद को तुममें विलीन करके
मैं से तुम, तुम से हम हो गई
जानती हूँ
मानती भी हूँ
समझती भी हूँ
पर फिर भी
खो देने का डर कैसा??
कहीं ये कसकर तुम्हें थामे रहने का
इस डरपोक मन का बहाना तो नहीं🤔

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

0 comments:

Post a Comment