एक वक्त
एक वक्त वो था
जब वक्त तो था
मगर सपने नहीं थे आँखों में
जब दुख तो क्षणिक थे
पर बात-बात में आँसू होते थे आँखों में
एक वक्त ये है
जब वक्त नहीं है
टूटे सपने ही हैं आंखों में
दुख ही स्थायी राह गए हैं
पर सारे आँसू सुख गए है।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
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