मुझमें तू बसता है आधा
क्या तू कान्हा है मैं हूँ राधा?
तू मुझको लगता है शिव सा
मैं बनूँ सती यह मेरा इरादा।
संघर्ष ही मिले कदम-कदम पर
कट गया जीवन यूँ ही आधा
दुख कब तक सहने है बोल
क्या है बता सुख की मर्यादा
तू मुझको लगता है शिव सा
मैं बनूँ सती यह मेरा इरादा!
प्रेम ही जीवन धन अनमोल
पर जीवन है सीधा-सादा
मिलना बस तुझ पर निर्भर था
फिर क्यों दी पग-पग पर बाधा
मुझमें तू बसता है आधा
क्या तू कान्हा है मैं हूँ राधा?
चल जाने दे जो भी नियति हो
प्रीत निभाने का कर वादा
साथ ही रहना जैसे भी हो
चाहे तू शिव हो या कान्हा
प्रेम कसौटी पर उतरे खरा
मैं लगूं सती सी या फिर राधा।
मुझमें तू बसता है आधा
क्या तू कान्हा है मैं हूँ राधा?
तू मुझको लगता है शिव सा
मैं बनूँ सती यह मेरा इरादा।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
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