Monday 1 June 2020

रेत पर लिखा था कुछ

चाहती थी वो पढ़ ले
वो जो अनकहा था

इसलिये रेत पर लिखा था कुछ
हवाएँ आई और उड़ा ले गई

अनकहा ही रहा सब कुछ
पानी में लिखा घुल गया उसी में

मिट्टी में जो भी लिखा 
मिट गया ठोकरों से लोगों की,

बस वही रहा अमिट हमेशा-हमेशा
जो लिखा था भावरंग से हृदय पर,...

फिर सोचा जब है हृदय में अंकित
तो लिखा ही क्यूँ  मिट्टी, पानी, रेत पर,..

पढ़ लिया मनमीत ने सब
मिली जो पल भर नज़र,...!

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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