खुले बाजार तो राहत है
पर मन अब भी आहत है
रखेंगे सावधानी यथासंभव
जीने की शेष अभी चाहत है
खुद की और सकल देश की
रोग से करना हिफाज़त है
वादा है न होगी लापरवाही
जून तुम्हारा स्वागत है।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
copyrights protected
खुले बाजार तो राहत है
पर मन अब भी आहत है
रखेंगे सावधानी यथासंभव
जीने की शेष अभी चाहत है
खुद की और सकल देश की
रोग से करना हिफाज़त है
वादा है न होगी लापरवाही
जून तुम्हारा स्वागत है।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
0 comments:
Post a Comment