जितना
मैं सोचती हूँ
मैं थक गई
बीमार हूँ
अब और नहीं!
उतना
मैं समझती हूँ
आराम जरूरी है
उपचार जारी है
रुकना कायरता है!
और देती हूँ दिलासा
नई डगर पर जाने से पहले
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
कांटो पे चल के मिलेंगे साये बाहर के
ओ राही! ओ राही,...!
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
चरैवेति- चरैवेति...
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