Thursday 4 June 2020

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के

जितना
मैं सोचती हूँ
मैं थक गई
बीमार हूँ
अब और नहीं!
उतना
मैं समझती हूँ
आराम जरूरी है
उपचार जारी है
रुकना कायरता है!

और देती हूँ दिलासा
नई डगर पर जाने से पहले

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
कांटो पे चल के मिलेंगे साये बाहर के
ओ राही! ओ राही,...!

#डॉप्रीतिसमकितसुराना 

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