Monday 1 June 2020

प्रकाशन क्यों और कैसे?

भागमभाग वाली जीवनशैली में आत्मसंतुष्टि के लिए लिखने वाले रचनाकार (विधा पारंगत होने की बाध्यता नहीं है) अपनी डायरी में वो लिखते हैं जो उन्हें सुकून देता है। हर रचनाकार के लिए बच्चे की तरह होती हैं उनकी ये रचनाएँ, कुछ कच्ची, कुछ पकी, कुछ मार्मिक, कुछ यादों का पिटारा।
एक उम्र के बाद सीखने की नहीं सहेजने की जरूरत होती है, ऐसे रचनाकारों को नामचीन रचनाकार मार्गदर्शन देने की बजाय नकारते हैं जो दुखद है।
अन्तरा शब्दशक्ति संस्था ऐसे रचनाकारों का सम्मान करती है जो हिन्दी में लेखन करते हैं, हिन्द और हिन्दी का सम्मान करते हैं। क्योंकि
हिन्द और हिन्दी का सम्मान, प्रमाण है देशभक्ति का,
सम्माननीय हैं वे जो करते हैं 'सृजन शब्द से शक्ति का'।
इसी उद्देश्य से आरंभ हुआ एक प्रकाशन क्रांति का जिसमें आरंभ हुआ 16, 32, 64, 80, 96 पेज से अधिकतम अब तक प्रकाशित 1920 पेज की पुस्तक भी है। अन्तरा शब्दशक्ति परिवार के 20 से अधिक साझा संकलन, अब तक 25 मासिक अंक अब तक प्रकाशित है।
बहुत से लोगों ने सवाल किए हैं कि इन संकलनों की सूचना कहाँ मिलेगी?
उन्हें बता दूँ अन्तरा शब्दशक्ति प्रकाशन  मार्च 2018 से रजिस्टर्ड हुआ पर मैं अन्य प्रकाशनों के माध्यम से 2016 से ही ऐसी गतिविधियाँ महिलाओं के लिए करती आई हूँ।
व्हाट्सअप समूह में दिए गए दैनिक विषयों पर लिखी रचनाओं में से हर माह सरप्राइज़ संकलन निकालने का प्रयास करती हूँ। इसके अतिरिक्त मासिक संकलन, वेब अंको का संकलन होता है जो fb के अन्तराशब्दशक्ति प्रकाशन एवं संस्था समूह में से ली गई रचनाएँ होती हैं।
अन्तरा शब्दशक्ति ने 730 दिनों में 365 किताबों का प्रकाशन कर लंदन रिकॉर्ड्स से सम्मान प्राप्त किया, ये सभी प्रकाशित पुस्तकें राष्ट्रीय पुस्तकालय कोलकाता एवं अन्तराशब्दशक्ति के स्वयं के पुस्तकालय में संग्रहित हैं।
हाल ही में लॉकडाउन के प्रथम दो चरणों के 51 दिनों में 120 पुस्तकों का ई संस्करण जो अब मुद्रित भी हो रहा है क्योंकि isbn सहित है, के साथ-साथ 1920 पेज का साझा संकलन और 3 अलग-अलग विषयों पर साझा संकलन प्रकाशित किये जिसके लिए 'ग्लोबल लिटरेचर सम्मान,2020 कनाडा' से प्रकाशन हेतु प्राप्त हुआ।
हमारा प्रयास हिन्दी को प्रचारित, संग्रहित, सम्मानित और समृद्ध बनाने का है, न कि किसी भाषा या बोली की अवहेलना, न अंग्रेजी का बहिष्कार। क्योंकि विश्व व्यापी बनने हेतु अंतरराष्ट्रीय भाषा, लोक संस्कृति से जुड़ने के लिए बोलियां और देश का सम्मान बनाए रखने के लिए प्रथम एवं संपर्क की भाषा हिन्दी का बराबर महत्व है।
बहुत से रचनाकारों ने पुस्तकों के प्रकाशन मूल्य के बारे में जानना चाहा है उन्हें बताना चाहूंगी कि मासिक या अन्य साझा संकलन मुद्रित मूल्य पर बिना कोरियर या डाक व्यय के भेजी जाती है, भेजने के पूर्व राशि जमा करवाई जाती है। ये संकलन लेना बिल्कुल भी अनिवार्य नहीं है, केवल वो लेते हैं जिन्हें अपनी प्रकाशित रचनाएँ संग्रहित करनी हो, अतः ये हमारा व्यावसायिक कार्य नहीं होता। किंतु प्रकाशन से जो पुस्तकें प्रकाशित करवाते हैं उनका नियत मूल्य लिया जाता है, रचनाकार की स्वीकृति से ईबुक भी प्रकाशित की जाती है। विक्रय हम नहीं करते क्योंकि रचनाकार यदि स्वयं विक्रय करे तो उसे शत प्रतिशत रॉयल्टी मिलती है। अन्यथा 5-10 पुस्तकें छापकर विभिन्न साइट्स पर उपलब्ध करवाने पर भी विक्रय हो ये केवल आपके संबंधों पर निर्भर है, जबकि लागत 150-200 पुस्तकों की ही ली जाती है।
प्रथम 5 पुस्तकों के प्रकाशन के कटु अनुभव और जटिल प्रक्रिया ने अन्तरा शब्दशक्ति प्रकाशन को जन्म दिया है। इसलिए इन अनुभवजन्य परिस्थितियों को सदा नमन करती हूँ।
वरिष्ठ मार्गदर्शकों के आदेशानुसार मूल्य सूचि संलग्न कर रही हूँ। ये पूर्णतः व्यक्तिगत निर्णय से बनी मूल्य सूचि है, विवादास्पद स्थिति उत्पन्न करने वालों से अग्रिम क्षमा, क्योंकि पहले भी यह सूचि इसलिए हटाई गई थी।

पेज👇🏻👉🏻    |  प्रातियाँ 50  |      100|     150 | 
16-20तक    |         2500 |    4500|   6500 |
24-32 तक   |         4500 |    6500|   9000 |
48-56 तक   |         6500 |    8500|  11000|
64-72 तक   |          8500|  11000|  13500|
80-88तक    |        10500|  13000|  16000|
96-112तक  |        12500|  15500|  18500|
120-128तक|        14500|  17500|  20500|

1 comment:

  1. अच्छी जानकारी है🙏🙏

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