Sunday 31 May 2020

मुसीबतें तो आती है, मगर डरने का नई!

मुसीबतें तो आती है, मगर डरने का नई!

हर कदम में है मुसीबतें ही मुसीबतें,
किसी से कुछ कहो तो बस नसीहतें,
डरने से नहीं मिलती कभी भी जीत,
हिम्मत से मिलती है जीत की इनायतें।

बस इसी अवधारणा और राहत इंदौरी की पंक्तियों से बन रहे अनेकानेक मीम्स (यानि चुटकुलों) ने प्रेरित किया कि क्यों न एक दिन ऐसा विषय रखा जाए जिसमें मज़ा, मजाक और मतलब तीनों हो।
प्रसन्नता का विषय है कि रचनाकारों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और उसे अन्तरा शब्दशक्ति ने एक साझा संकलन का रूप दिया।
 ईबुक निःशुल्क है अतः जरुर पढ़ें और रचनाकारों को प्रोत्साहित करें मात्र इतनी सी अपेक्षा है। यह प्रकाशित प्रति में भी उपलब्ध होगा। 
सादर आभार
संस्थापक एवं सम्पादक
डॉ प्रीति समकित सुराना
अन्तरा शब्दशक्ति

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