Saturday, 30 May 2020

उम्मीद का परिंदा

समय हुआ है प्रतिकूल

यहाँ मानव हुआ दरिंदा है

दमघोंटू माहौल में भी
देखो हर कोई जिंदा है

हालत हुए बद से बदतर
शर्मिंदा लेकिन कोई नहीं

हौसले के आकाश में उड़ता
उम्मीद का एक परिंदा है।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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