कठिन डगर हो तो हमसाया हो जाते हैं हम।
उनकी चाहत हो तो, काया हो जाते हैं हम।
पेड़ नहीं हैं हम तो बस, मानव है धरती पर,
पवन-अनल, धूप कभी, छाया हो जाते हैं हम।
जिसपर चलकर पहुँच सकें वो अपनी मंजिल पर,
सीधी राह न हो तो वाया हो जाते हैं हम।
हमको अबला कहते हैं जब मौका मिल जाए,
काम पड़े तो देवी-माया हो जाते हैं हम।
माना मोल नहीं है कुछ भी नज़रों में उनकी,
सब जान समझ कर भी, ज़ाया हो जाते हैं हम।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
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