अपने #ख़ालीपन को भरते
अपने खालीपन को भरते।
अपनी पीड़ा खुद ही हरते।
कर्म सदा करते परहित के,
धर्मनिहित न दिखावे करते।
ये भी वर्णन पढ़ा था मैंने,
सूखे पात सदा खुद झरते।
हरियाली मौसम लाती है,
जीव सकल विश्व के तरते।
लाभ हमेशा होता उनका,
पाप कर्म से जो हैं डरते।
विपरीत बहे जो वायु कभी,
अपने मन में धीरज धरते।
प्रीत किये जो भी सुख मिलते,
शाश्वत सुख न कभी जो मरते।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
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