Sunday, 19 April 2020

समय रहते संभल जाओ



रिश्तों के कुछ फलसफे 
अब मैं भी समझने लगी हूँ
जिन रिश्तों में दर्द की आहट हो
वो रिश्ते किसी मोड़ पर ही छूट जाते हैं।

रिश्तों में संवाद दिल से हो 
तो शब्द गौण हो जाते हैं
पर निःशब्द संवाद भी न हो
तो रिश्ते बिना कहे कभी भी रुठ जाते हैं।

जानती हूँ हश्र उन रिश्तों का
जिसमें अहम और वहम हों
समय रहते संभल जाना या संभाल लेना
हम वाले रिश्ते सिर्फ 'मैं' से टूट जाते हैं।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

1 comment:

  1. रिश्तों की पहचान जरुरी है समय रहते,
    ढोने से बेहत्तर है सर से बोझ उतार देना

    बहुत अच्छी प्रस्तुति

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