रिश्तों के कुछ फलसफे
अब मैं भी समझने लगी हूँ
जिन रिश्तों में दर्द की आहट हो
वो रिश्ते किसी मोड़ पर ही छूट जाते हैं।
रिश्तों में संवाद दिल से हो
तो शब्द गौण हो जाते हैं
पर निःशब्द संवाद भी न हो
तो रिश्ते बिना कहे कभी भी रुठ जाते हैं।
जानती हूँ हश्र उन रिश्तों का
जिसमें अहम और वहम हों
समय रहते संभल जाना या संभाल लेना
हम वाले रिश्ते सिर्फ 'मैं' से टूट जाते हैं।
#डॉप्रीतिसमकितसुराना
रिश्तों की पहचान जरुरी है समय रहते,
ReplyDeleteढोने से बेहत्तर है सर से बोझ उतार देना
बहुत अच्छी प्रस्तुति