Sunday, 19 April 2020

रात के संग आँख मिचौली



स्वप्न खेलते रहे जब अनवरत रात के संग आँख मिचौली।
नींद स्वप्न और रात से आखिर में थक हार कर बोली।
तुमसे तो मेरे दिवास्वप्न ही अच्छे हैं, जो सताते नहीं हैं,
स्वप्न पूरे करने की राह दिखाते हैं उजाले भी बनकर हमजोली।

#डॉप्रीतिसमकितसुराना

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