#सुनो!
मेरी बातें
मेरे सपने
मेरी यादें
मेरे वादे
सबकुछ याद रखना तुम,
मैं न रहूँ तो निभाना उसे
मेरी वसीयत मानकर
क्योंकि
अब हो कर भी खुद में नहीं हूँ मैं
जाने क्यों सब कुछ
भूला सा लगता है
जिंदा रही तो याद दिलाते रहना
मुझे मेरे मेरे दायित्व
अगर मैं भूल भी जाऊँ,..!
हाँ!
स्वार्थ कहो
या तुम पर मेरी निर्भरता
पर मेरे लिए अधिकार है मेरे प्रेम का,..!
#डॉप्रीति समकित सुराना
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