कोई कुछ भी सोचे
कोई कुछ भी समझे
दूसरों की सोच से हमें क्या?
हम क्या हैं?
हम क्या करते हैं?
हम क्या सोचते हैं
इसकी गवाह अन्तर्रात्मा है
आईने के सामने खड़े होकर
आत्मा की साक्षी से
खुद से आँख मिला सकें
इतना ही बहुत है
लोगों का काम है कहना
कहते रहें
हमें क्या??
#डॉप्रीति समकित सुराना



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